“वैदिक सर्व हितकारी ट्रस्ट ” का मिशन एक गाय आधारित आत्मनिर्भर आर्थिक मॉडल गौशाला विकसित करना है , जो गौ-संरक्षण के महत्व के लिए संपूर्ण आदर्श हो सकता है। हमारा वैदिक साहित्य और शास्त्र भी उसी का प्रचार करते हैं।
दानो में सबसे बड़ा दान गोमाता हेतु महादान कर अपने भाग्य के रास्ते खोले, इन गौमाताओं हेतु दानमात्र कर ही आप इनकी पूजा आराधना का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। आपका एक छोटा सा दान हमारी गोशाला और इन देवी रूप माताओ के लिए बहुत महत्व पूर्ण है। एक बार हमारी गोशाला में जरूर पधारे
‘गावो विश्वस्य मातरः’ संसारकी माता है गाय । जन्म देनेवाली माता तो बचपन में दूध पिलाती है और गाय तो पूरे जीवनभर दूध पिलाती है, मृत्यु समयमें भी गायका दहीं दिया जाता है । यह माँ भी है, दादी भी है , नानी, परनानी, परदादी भी है । सबको दूध पिलाती है । यह संपूर्ण संसारकी माँ है । गाय रक्षा करती है ।
एक जगह रात्रीको चोर आए तो गायने रस्सी तोड़कर उनके पीछे भागकर चोरोंकों भगा दिया । जैसे माँ रक्षा करें ऐसे रक्षा करती है, पालन करती है, प्यार, दुलार करती है ।गौ माताको याद करनेसे अंतःकरण निर्मल होता है । गायोकों खुजलानेसे असाध्य रोग भी ठीक हो जाते है, आप उचित समजो तो करके देख लो । गौकी रक्षा करनेसे अपनी रक्षा स्वाभाविक हो जाती है । आजकल लोगोनें गायका महत्व जानना बंद कर दिया है । गौके आशीर्वादसे लोक और परलोक दोनों सुधर जाते है । गौ माताकी कृपासे असंभव संभव हो जाता है । गायोंमें एक विलक्षण शक्ति होती है , उनको प्रसन्न, राजी किया जाय तो गौ सब तरहसे सुख देती है , सबकी रक्षा करती है । ईमानदारीसे गायोंकी रक्षाकी जाय तो उसके पालनमें कोई साधनमें कमी नहीं आएगी, आप हृदयसे करके देख लो । आप घरोमें एक-दो-दो गायें रखो तो सुगमतासे पालन हो जाय ! आजकल लोगोंकी भावना गायोंके प्रति कम हो गई है । गौ माता धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करती है । गौमूत्रसे बनी दवाईयोंसे बहुत फायदा होता है ।
घरोंमेंसे साग-सब्जीके छिलके, आटेका छना हुआ कोरमा ऐसे खाद्य पदार्थ इकट्ठे करके गायोंकी सेवा करो तो कोई नया खर्चा भी न होकर सुगमतासे पालन हो जाएगा । हरा घासचारा दिया जाय, गुवार पानीमें मथकर दिया जाय, उसको गाय उत्साहसे खाती है । गौ किस तरहसे राजी हो, प्रसन्न हो ऐसा हृदयमें भाव रखना चाहिए । चीज तो सीमित होती है पर भाव असीम होता है । सेवासे कल्याण हो जाय । गाय बिक्री न करो, वरना कतलखाने चली जाएगी ! एक जगह हजोरों गायोंका पालन मुश्किल होता है पर सभी गृहस्थ एक-एक गायका पालन करें तो सुगमतासे गायकी रक्षा हो जाय । गायको सुई देकर दूध दोहना पाप है, ऐसा दूध नहीं पीना चाहिए । पहले ३६ करोड़ पशु थे, अभी गणना हुई तो १० करोड़ पशु बचे है । प्लास्टिकका उपयोग न करें । प्लास्टिक थेलियोमें बचा हुआ खानेका पदार्थ कूड़ेमें फेंकनेसे गायें खाकर मर जाती है, उनके पेटमेंसे १२-१३ किलो प्लास्टिक का कचड़ा निकला है ।अतः कागज, कपडेकी थेलीका प्रयोग करें । गायें दुःखपाकर मरती है तो प्लास्टिककी थेली बनानेवाले और प्रयोग करनेवाले पापके भागी होंगे ।
हिंदु और गौ पर आजकल बहुत आफत है, परिवार नियोजन मत कराओ । बच्चोंकों जन्म लेने दो, परिवार नियोजन करना पापकी बात है । गर्भपात निषेध के लिए तो विदेश में भी कई संस्थायें काम करती है पर नसबंधी का विरोध नहीं करते है । जिस किसी तरहसे गाय और हिंदुओकी रक्षा करो वरना भारी नुकसान होगा । परिवार नियोजन करके मनुष्य पैदा नहीं हुए उस घाटे की पूर्ति कभी नहीं होगी ।